मंगलवार, 30 दिसंबर 2014

नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ........ 

अरुणिम इस मंगल 
बेला में 
उजली उजली भोर खिली 
स्मित , उषा की लाली में 
तुम सद्य  -स्नात 
लहराती अलकों में 
बादल बन बांके पन से 
झाँक रही हो ,,
उम्मीदों की  नव जोत लिए 
अरुणिम इस मंगल 
बेला में.…… 
स्वागत समय की वर्षा का 
छूटा पीछे अतीत 
चलचित्रों का  दर्शन 
कुछ मीठा कुछ  खटास लिए 
यादों के दर्पण 
में ,, कुछ निहार रही हो 
तुम हो,,, में हूँ 
और समय का नर्तन 
है ये जीवन 
कितने पथ   मिले और 
कितने  छूट गए 
अपनी कितनी  राहों से
 हम रूठ  गए। 
अब नयनाभिराम  तुम कौन ?
समय की गोदी में 
कुछ सेंदुर  और प्रवाल 
लिए , मेरे दिल के सागर में 
लहराती हो?
अरुणिम इस मंगल 
बेला में 
प्रभात के मोती बन 
तुम चमक उठे , अप्रतिम 
गुलाब की लाली से 
महक उठा मेरा जीवन 
नूतन अभिनन्दन स्वागत है 
तुम खड़ी  रहो बाहें पसार 
 
मंगल वीणा मंगल वितान 
मंगल है तारों  का गान 
फिर क्यों रूठे हो बचपन बन 
अब प्रौढ़ हुआ   जीवन का  रंग 
अनुराग और मनुहार लिए 
नाचेंगे हम जीवन के संग.।.……
नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ