अरुण से पूछो
तुम्हारा तेज क्या है?
पवन को रोको
तुम्हारा नेह क्या है ?
दंश है जीवन
व्यथा के रूप धारे
प्रेम के मानिन्द
सुखो के भेष न्यारे
धूप छांह प्रलाप है
जीवन की बाती
एक कथा है सीमित
जिसको बांचे माटी
माटी के कण-कण
से पा लो
जीवन के अनबूझे रंग
सावन की बूँदों से पूछो
तेज नेह का मधुर संगम
न रोको पवन पावन
अंग अंग बहता अनंग
तेजो मय पथ से प्रशस्त
नेति-नेति का जीवन क्रम।
तुम्हारा तेज क्या है?
पवन को रोको
तुम्हारा नेह क्या है ?
दंश है जीवन
व्यथा के रूप धारे
प्रेम के मानिन्द
सुखो के भेष न्यारे
धूप छांह प्रलाप है
जीवन की बाती
एक कथा है सीमित
जिसको बांचे माटी
माटी के कण-कण
से पा लो
जीवन के अनबूझे रंग
सावन की बूँदों से पूछो
तेज नेह का मधुर संगम
न रोको पवन पावन
अंग अंग बहता अनंग
तेजो मय पथ से प्रशस्त
नेति-नेति का जीवन क्रम।
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