ह्रदय बन्धनों को खोल दे,
तोड़कर,वो मीत कैसा?
सहजता जब रूप खो दे
जन्मो का गीत कैसा ?
जब विषाद तू है नही ,
सरलता उपहार कैसा ?
हर पल जीवन दाहक जाये
फिर आस्था विश्वास कैसा?
तोड़कर,वो मीत कैसा?
सहजता जब रूप खो दे
जन्मो का गीत कैसा ?
जब विषाद तू है नही ,
सरलता उपहार कैसा ?
हर पल जीवन दाहक जाये
फिर आस्था विश्वास कैसा?
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