1.
मधुयामिनी ये कैसी भली ,
विकल रागनी से मिल ही जाये
पनियाली आँखों के पनपते सपने
आते ही आते क्यू रुक से गए।
महसूस होता ह इस बार आकर,
सँभलते सँभलते बिखर ही गए।
पाके निमर्त्रण किसी भोली भोर का
नेह में रजनीश तुम लुट ही गये।
मधुयामिनी ये कैसी भली ,
विकल रागनी से मिल ही जाये
पनियाली आँखों के पनपते सपने
आते ही आते क्यू रुक से गए।
महसूस होता ह इस बार आकर,
सँभलते सँभलते बिखर ही गए।
पाके निमर्त्रण किसी भोली भोर का
नेह में रजनीश तुम लुट ही गये।
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