शुक्रवार, 4 जनवरी 2013

मंथन

जीवन ; सुधि मत खो;
  जीवन , कुलांचे मारती छलांग नहीं।
ठहरना ; पल दो  पल
    जीवन, मोल मत कर।
ये जीवन वही, मंथन में
    अमृत औ  मदिरा निकले
जुझंता एक प्राण ,
 जीवन; आस मत खो।

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